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  5. क्या वाकई मिल सकती है सोरायसिस से राहत ?

हमारी त्वचा शरीर का सबसे बाहरी आवरण होती है। शरीर की सुरक्षा करने के साथ ही यह एक लेयर का काम भी करती है। हमारा शरीर जिस भी बाहरी चीज के संपर्क में आता है, हमारी त्वचा ही उस संपर्क का पहला जरिया होती है। ऐसे में कई बार त्वचा में एलर्जी भी हो जाती है। स्किन एलर्जी कई प्रकार की होती है। इसमें सोरायसिस (Psoriasis) एक आम स्किन एलर्जी है। इसे चर्म रोग का एक प्रकार कहा जाता है और सामान्य भाषा में अपरस या छाल रोग भी कहा जाता है।

आज हम इसी के बारे में बात करने जा रहे हैं।

सोरायसिस क्या है? What is psoriasis?

सोरायसिस त्वचा में होने वाली एक आम समस्या है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में, किसी भी उम्र में, हो सकती है। सोरायसिस हमारे शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली, अर्थात ‘इम्यून सिस्टम’ में परेशानी की वजह से होने वाली बीमारी है।

इसके बारे में कोई पूर्व आकलन नहीं किया जा सकता है और यह आती-जाती रहती है। यह हमारी त्वचा पर असर डालती है। इसकी वजह से त्वचा लाल हो जाती है, और उसमें पपड़ी या छाल बनकर झड़ने लगती है। यह स्थिति संक्रामक नहीं है, यानी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती। [1]

सोरायसिस के विभिन्न प्रकार क्या हैं? What are the different types of psoriasis?

1. सोरायसिस वुल्गारिस

यह सोरायसिस का सबसे सामान्य प्रकार है और इस बीमारी से पीड़ित करीब 90 फीसदी लोगों में यही प्रकार पाया जाता है। इसमें त्वचा लाल हो जाती है और उसमें सफेद पपड़ी बनती है, जो बहुत जल्दी-जल्दी झड़ती रहती है। ऐसे मरीजों में सोरायसिस दूर से देखने पर ही नजर आ जाता है, यानी उनकी त्वचा में जहां भी यह दिक्कत है, उसका लालपन इतना अधिक होता है कि वह तेज चमकता है।

2. सोरिऐटिक ऐरिथ्रोडर्मा

इस स्थिति में त्वचा से छाल तो निकलता ही है, वहां पर सूजन भी होती है। इसमें सामान्यत: गंभीर खुजली, सूजन और दर्द होता है। इस प्रकार का सोरायसिस किसी के लिए भी घातक हो सकता हैl इसकी वजह यह है कि, अत्यधिक सूजन और त्वचा से पपड़ी या छाल निकलने पर हमारा शरीर उसके तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता।

3. पुस्टलर/फुंसी सहित

इस स्थिति में प्रभावित जगह पर फुंसी आदि बन जाती है। उसमें पस (पुस्टलर्स) भर जाता है। यह सोरायसिस शरीर में कहीं भी हो सकता है, लेकिन हाथों और पैरों में इसकी शिकायत ज्यादा होती है।

 

4. सोरायसिस के अन्य प्रकार

सोरायसिस के कई और प्रकार भी हैं। इनमें शामिल हैं,

  • औषधी-प्रेरित सोरायसिस
  • इन्वर्स सोरायसिस
  • नैपकिन सोरायसिस
  • सीब्रोरहाइक सोरायसिस

सोरायसिस के लक्षण क्या हैं? What are the symptoms of psoriasis?

सोरायसिस के लक्षण अन्य स्किन एलर्जी के लक्षणों से काफी मिलते-जुलते हैं।

  • इसमें त्वचा में लाल खुरदुरे धब्बे हो जाते हैं।
  • इसकी पहचान त्वचा के ऊपर बनने वाली सफेद पपड़ी से होती है। यह पपड़ी कुछ दिनों में प्रभावित जगह से निकलती रहती हैं।
  • शुरू-शुरू में यह पपड़ी तीन से चार हफ्तों में झड़ती है, लेकिन स्थिति गंभीर होने पर 3 से 4 दिनों में ही झड़ने लगती है।
  • त्वचा का लाल होना, उसमें खुरदरे धब्बे, खुजली और मोटापा, चिटकना और हथेलियों या पैर के तलवों में फफोले पड़ना, इसके प्रमुख लक्षणों में से हैं।

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सोरायसिस के कारण क्या हैं? What are the causes of psoriasis?

वैज्ञानिक अभी पूरी तरह से नहीं जान पाए हैं कि सोरायसिस वास्तव में किस वजह से होता है। लेकिन इम्यून सिस्टम में परेशानी और आनुवंशिकी (जेनेटिक्स), इसके होने की प्रमुख वजह बनते हैं। यदि आपके परिवार में किसी को सोरायसिस है, तब यह आपको भी हो सकता है। एक बात जानना जरूरी है कि यह बीमारी संक्रामक नहीं है। [2]

सोरायसिस से प्रभावित होने वाले अंग कौन से हैं? Organs affected by Psoriasis?

सोरायसिस शरीर पर कहीं भी दिखाई दे सकता है, यहां तक कि पलकों, कान, होंठ, त्वचा की सिलवटों, हाथ, पैरों और नाखूनों पर भी। यह छोटे-छोटे धब्बों के रूप में अलग-अलग अंगों पर, या एक ही जगह पर काफी बड़े एरिया को प्रभावित कर सकता है। शरीर पर एक समय में एक से अधिक जगहों पर भी यह हो सकता है।

सोरायसिस का निदान कैसे करें? How to diagnose psoriasis?

ऐसे लोग जिन्हें पहले से कोई बीमारी है, सोरायसिस उनकी तकलीफों को और बढ़ा सकता है। जिन्हें कोई तकलीफ नहीं है, उनके लिए भी यह एक परेशानी बन सकता है। कई बार यह मरीजों को भावनात्मक रूप से भी तोड़ देता है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति के पास बैठने या जाने से हिचकिचाता है। जहां तक इसके निदान की बात है, तो इसके लिए बेहतर रास्ता एक डर्मेटोलॉजिस्ट ही बता सकता है। [3]

वह इसके लिए मरीज की त्वचा, नाखून और स्कैल्प आदि की जांच करता है और उसके बाद कई लक्षणों की जानकारी लेता है। जैसे-

  • क्या मरीज को त्वचा में खुजली हो रही है?
  • सोकर उठने के बाद जॉइंट पेन, सूजन आदि लक्षण नजर आ रहे हैं?
  • क्या परिवार में कोई इस बीमारी से पीड़ित है?
  • हाल के दिनों में जीवनशैली में क्या बड़े बदलाव आए हैं?

अगर मरीज में सोरायसिस की पुष्टि हो जाती है, तो उसका इलाज सोरायसिस के प्रकार और उसकी गंभीरता के आधार पर शुरू किया जाता है। अगर दवाओं को शुरू करने की जरूरत है तो डर्मेटोलॉजिस्ट इसकी पूरी सूची तैयार करता है। तय दिनों तक दवा लेने के बाद उसके असर को देखा जाता है। अगर मरीज को ज्यादा असर नहीं हुआ है, तो दवाओं में कुछ बदलाव भी किया जाता है।

यहां यह समझना जरूरी है कि तमाम रिसर्च के बाद सोरायसिस के कुछ प्रभावी उपचार हासिल किए गए हैं, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है, पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। इसलिए अधिकतर लोग इस बीमारी के साथ ही एक बेहतर जिंदगी जीने के रास्ते अपनाते हैं।

सोरायसिस का इलाज कैसे किया जाता है? How is psoriasis treated?

सोरायसिस का कोई इलाज नहीं है। लेकिन, जैसे लोग शुगर की बीमारी को कंट्रोल कर सकते हैं, खत्म नहीं, वैसे ही इस बीमारी को भी कंट्रोल किया जा सकता है, खत्म नहीं। हाल के वर्षों में कई उपचार सामने आए हैं, जिन्हें डॉक्टरी सलाह के बाद किया जाता है। जो डॉक्टरी इलाज लेते हैं, उन्हें कुछ समय बाद फर्क महसूस होने लगता है।

क्योंकि हर व्यक्ति की त्वचा अलग होती है, इसलिए त्वचा विशेषज्ञ व्यक्ति विशेष के अनुकूल ही इलाज करते हैं और दवाओं को घटाया या बढ़ाया जाता है। स्किन स्पेशलिस्ट हर मरीज की परिस्थिति को देखकर उसके लिए इलाज तय करता है। [4]

सोरायसिस का इलाज करने के घरेलू उपाय Home remedies to treat psoriasis

1. एलोवेरा

एलोवेरा त्वचा को मॉइश्चराइज करता है। इसका इस्तेमाल ना सिर्फ कई तरह की स्किन एलर्जी बल्कि डायबिटीज आदि में भी किया जाता है। कुछ शोधों के अनुसार, एलोवेरा को सोरायसिस से जुड़ी लालिमा और स्केलिंग को कम करने में मदद करने के लिए बेहतर बताया गया है। ऐसी क्रीम जिसमें एलोवेरा इस्तेमाल हुआ हो, उसे भी लगाया जा सकता है। एलोवेरा की पत्तियों का जेल दिन में तीन बार त्वचा पर लगाया जा सकता है। [5]

2. टी ट्री ऑयल-

माना जाता है कि टी ट्री ऑयल में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं और इसे त्वचा पर लगाया जा सकता है। कुछ लोग मानते हैं कि शैंपू और टी ट्री ऑयल के उपयोग से सिर में होने वाले सोरायसिस से राहत मिलती है। हालांकि, सोरायसिस पर टी ट्री ऑयल की प्रभावशीलता को साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हैं। इसके उपयोग से कुछ लोगों को एलर्जी भी हो जाती है, इसलिए डॉक्टरी सलाह जरूर लें।

3. नीम

नीम में भी एंटीसेप्टिक गुण होते हैं और यह तमाम तरह की स्किन एलर्जी में सदियों से इस्तेमाल होता आया है। नीम के पत्तों को उबालकर पानी में मिलाकर नहाने से कई तरह की त्वचा संबंधी बीमारियों में राहत मिलती है। सोरायसिस के मामले में भी विशेषज्ञ नीम की पत्तियों को उबालकर उसके पानी से स्नान की सलाह देते हैं। हालांकि वैज्ञानिक तौर पर इसकी पुष्टि अब तक नहीं हो पाई है।

4. नारियल तेल

नारियल का तेल सोरायसिस से राहत देता है। यह ना सिर्फ त्वचा को ठंडक देता है, बल्कि घाव मिटाने में भी मदद करता है।

5. केले का छिलका

कई विशेषज्ञ सोरायसिस के इलाज में केले के छिलके को भी उपयोगी बताते हैं। उनके मुताबिक, केले के छिलके को पेस्ट बनाकर लगाने से फायदा होता है। इसके लिए दो केले के छिलके को मिक्सी में ग्राइंड कर लें। अब इस पेस्ट को प्रभावित त्वचा पर लगाकर करीब 10 मिनट के लिए छोड़ दें।

विशेषज्ञ कहते हैं कि इससे त्वचा को ठंडक मिलती है और वह हाइड्रेट होती है। अगर आप पेस्ट नहीं लगाना चाहते, तो केले के छिलके को प्रभावित जगह पर कुछ देर के लिए चिपका सकते हैं या फिर छिलके को प्रभावित जगह पर हल्के हाथ से रगड़ भी सकते हैं।

6. लहसुन

अपने औषधीय गुणों की वजह से लहसुन का इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है। सोरायसिस के उपचार में भी इसे उपयोग किया जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसका पेस्ट बनाकर उसे एलोवेरा के साथ मिलाकर प्रभावित जगह में 15 से 20 मिनट तक के लिए लगाया जाता है। उसके बाद ठंडे पानी से त्वचा को धो लें। अगर आप लहसुन का पेस्ट नहीं लगाना चाहते तो लहसुन का तेल भी लगा सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह उपाय रोज अपनाया जा सकता है।

सोरायसिस की ओटीसी दवा OTC drug of psoriasis

ओटीसी दवा का नाम जेहन में आते ही सबसे पहले यह सवाल खड़ा होता है कि ओटीसी दवाएं क्या हैं? आम भाषा में आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जो दवाएं सीधे काउंटर से खरीदी जाती हैं, उन्हें ओटीसी दवाएं कहते हैं। सोरायसिस के उपचार में भी कई ओटीसी दवाएं इस्तेमाल की जाती हैं।

सैलिसिलिक एसिड:

यह लोशन, क्रीम, मलहम, फोम, जैल, साबुन, शैंपू आदि के तौर पर खरीदा जा सकता है। अन्य उपचार के साथ भी इसे इस्तेमाल किया जा सकता है। यह मृत त्वचा को हटाने में मददगार होता है।

कोल तार:

यह भी स्किन को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह कई प्रकार में मौजूद है। शैंपू के रूप में भी उपलब्ध है और स्कैल्प के सोरायसिस के इलाज में मदद करता है। हालांकि इसकी खुशबू अच्छी नहीं होती और कुछ लोगों की त्वचा में इसके दुष्परिणाम दिखाई दे सकते हैं। एक्सपर्ट कहते हैं कि इसका इस्तेमाल डॉक्टरों की सलाह से ही किया जाना चाहिए, क्योंकि कोल तार के केमिकल से कैंसर होने की संभावना भी होती है।

स्टेरॉयड (कॉर्टिकोस्टेरॉइड):

यह त्वचा की कोशिकाओं के विकास को कम कर देते हैं, ताकि वह निर्माण ना कर सकें और सोरायसिस ज्यादा ना बढ़े। कई बार कुछ अन्य दवाओं के साथ इन्हें लेने से ज्यादा फायदा होता है।

हाइड्रोकार्टिसोन क्रीम और मलहम:

हाइड्रोकोर्टिसोन एक हल्का कॉर्टिकोस्टेरॉइड है, जो सोरायसिस के कुछ छोटे पैच के लिए अच्छा काम करता है। यह खुजली के साथ-साथ सूजन को भी कम करता है।

विटामिन डी:

इसकी मदद से भी सोरायसिस का उपचार किया जाता है। इसे मलहम, जैल, क्रीम, लोशन, फोम आदि के रूप में लगाया जाता है, जिससे त्वचा की कोशिकाएं धीरे-धीरे बढ़ती हैं। स्टेरॉयड की तुलना में इसे ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। हालांकि इन दवाओं को बच्चों और जानवरों से दूर रखना चाहिए।विटामिन डी के तौर पर ये दवाएं मुख्य रूप से ली जाती हैं।

  • कैल्सिपोट्रिएन (कैल्सीट्रिन, डोवोनेक्स, सोरिलक्स)
  • कैल्सीट्रियोल (रोक्कट्रोल और वेक्टिकल)
  • टैक्लिटॉल (बोनाल्फा और क्यूरोडर्म)

काम्बिनेशन दवाएं:

आपका डॉक्टर यह भी सिफारिश कर सकता है कि आप स्टेरॉयड के साथ विटामिन डी का उपयोग करें। टैक्लोनेक्स और एनस्टीलर ऐसी काम्बिनेशन दवाएं हैं l प्रत्येक में कैलीसिपोट्रिन (विटामिन डी) और बीटामेथासोन डिप्रोपियोनेट (एक स्टेरॉयड) दोनों होते हैं।

सोरायसिस (छाल रोग) से बचाव Psoriasis prevention

  • सोरायसिस त्वचा में होने वाली एक बीमारी है, इसलिए इसके बचाव में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने कि आवश्यकता है।
  • मानसिक तनाव के कारण भी कई बार सोरायसिस हो जाता है, इसलिए मानसिक तनाव को दूर करने के लिए योग और व्यायाम रोज करें।
  • ठंड के मौसम में अपनी त्वचा का खयाल रखिये, और समय-समय पर उसे मॉइश्चराइज करिये। त्वचा को रूखी बिलकुल नहीं होने देना चाहिए।
  • खान-पान में बहुत तला-भुना खाने से परहेज करें।
  • डॉक्टर सिगरेट और शराब के सेवन से परहेज की भी सलाह देते हैं।
  • कठोर साबुन का चुनाव बिलकुल ना करें। इससे त्वचा की परेशानी और ज्यादा बढ़ जाएगी। साबुन से बेहतर रहेगा बॉडी बॉश। यदि आप साबुन ही इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो वह साबुन लें, जिसका पीएच सामान्य हो। उसे लगाने के बाद भी त्वचा में नमी बरकरार रहे।

सोरायसिस में क्या खाना चाहिए? What to eat in psoriasis?

एक स्वस्थ और बैलेंस्ड डाइट का फायदा सभी को होता है, लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि अगर सोरायसिस से पीड़ित लोग संतुलित आहार लेते हैं, तो उन्हें इस बीमारी से लड़ने में मदद मिलती है और बेहतर अनुभव होता है।

सोरायसिस के मरीजों में डायबिटीज, हार्ट से जुड़ी बीमारियां और ब्लड प्रेशर का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में हेल्दी डाइट इन सभी खतरों को भी कम करती है। एक्सपर्ट सामान्य आहार की सलाह देते हैं, लेकिन गेहूं, चावल जैसे अनाज को पुराना होने के बाद खाने की बात कहते हैं। इसी तरह कुछ सामान्य दालें और हरी सब्जियों के सेवन की बात कही गई है। इसके साथ ही व्यायाम की सलाह भी विशेषज्ञ देते हैं, ताकि वजन पर नियंत्रण रहे।

निष्कर्ष : The conclusion:

सोरायसिस का खतरा जेनेटिक तो है ही, पर यह किसी को भी परेशान कर सकता है। ऐसे में वक्त रहते डॉक्टरी परामर्श सबसे ज्यादा जरूरी है। घरेलू नुस्खे किसी भी समस्या में शुरुआती तौर पर ही कारगर होते हैं, लेकिन इनका कोई बहुत नुकसान नहीं है, इसलिए डॉक्टरी इलाज के अलावा भी इन्हें उपयोग किया जा सकता है। बस समस्या को अनदेखा ना करें।

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